हमारे प्यारे कान्हा जी
भारी बारिश में जन्म लिया,
वासुदेव ने टोकरी में गोकुल पहुँचाया।
यमुना की लहरें शांत हुईं,
शेषनाग ने रक्षा का वादा निभाया।
गोकुल में बाल गोपाल बने,
माखन चुराकर सबका दिल जीता,
पूतना का वध किया बालक बनकर,
सबके प्यारे बने, बाल गोपाल बनकर।
देवकी-यशोदा के दुलारे,
वासुदेव-नंद बाबा के प्यारे,
स्नेह मिला पुत्र बनकर।
बलराम-सुभद्रा के संग खेल-खेल में,
छोटी-बड़ी शैतानी की भाई बनकर।
कंस का वध कर मथुरा को मुक्त किया,
भांजा बनकर धर्म निभाया।
गुरु संदीपनी से शिक्षा पाई,
शंखासुर का वध कर उनके पुत्र को बचाया।
माता-पिता से मिलाया,
गुरुदक्षिणा का धर्म निभाया शिष्य बनकर।
सुदामा, अर्जुन, द्रौपदी का साथ दिया,
सच्चे सखा का वादा निभाया मित्र बनकर।
कुरुक्षेत्र की रणभूमि में,
अर्जुन का रथ चलाया सारथी बनकर,
गीता का उपदेश दिया, गुरु बनकर।
द्रौपदी का सम्मान बचाया,
कपड़े के धागे का ऋण चुकाया,
रक्षक बनकर।
सुदामा की सेवा की,
अपने आंसुओं से धोए चरण,
और राज गद्दी पर बैठाया,
सेवक बनकर।
राधा-मीरा के संग प्रेम भक्ति की,
पूजा की, प्रेम मूरत बनकर।
रुक्मिणी के संग संसार बसाया,
पति का धर्म निभाया पति बनकर।
प्रद्युम्न को स्नेह से पाला,
पिता का फर्ज निभाया पिता बनकर।
शिशुपाल को दंड दिया,
मनुष्य रूप में धर्म सिखाया।
अंत में शिकारी का तीर लगा,
और विदा लिया इस संसार से,
लेकिन दिलों में बस गए ईश्वर बनकर।
हमारे प्यारे, नटखट, नियारे,
कान्हा जी हमारे।
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