...

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इश्क_ ए _ गुलाल
खिलेंगे गुल से, रंग हरे पीले लाल चेहरे पे,
आ क़रीब लगा दूं इश्क ए गुलाल चेहरे पे.

आओ ना अंग से अंग लगाए,
बाकी कोई कसर न रह जाए.
शर्म _ हया की दीवार जरा तोड़ो,
कौन क्या कहेगा ये बहाना छोड़ो.
रहे न, इस दफा कोई भी मलाल चेहरे पे.
आ क़रीब लगा दूं इश्क ए गुलाल चेहरे पे.

रंग ए इश्क से तुम्हे तर कर देगे,
सारा जीवन खुशियों से भर देगे.
ऐसा, इश्क ए रंग तुम्हे लगायेगे,
ताउम्र फिर वो रंग न छूट पाएंगे.
देखता रहे जहां इश्क ए कमाल चेहरे पे.
आ क़रीब लगा दूं इश्क ए गुलाल चेहरे पे.

© एहसास ए मानसी