तूफान
उम्मीदों के जलते चिराग
अब बुझने से लगे थे!
नाकामियों के घने साए
अब और भी
ज्यादा डराने लगे थे!
तू आई इस क़दर...
अब बुझने से लगे थे!
नाकामियों के घने साए
अब और भी
ज्यादा डराने लगे थे!
तू आई इस क़दर...