...

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मौत और मोहब्बत।
मैं मर जाऊँ

तो मुझे जलाना मत

जो नहीं थे मेरे साथ

वो इस बार भी आना मत ..



जो मेरे नाम की घंटी देख के

फ़ोन छुपा दिया करते थे ..

जो मेरी बातों को सुन के

हवा में उड़ा दिया करते थे ..

उन्हें कहना ..

उन्हें कहना कि

याद तुम्हे कर रहा था

पर अफ़सोस ,

इस बार वो मर रहा था



मैं मर जाऊँ तो

श्रद्धांजलि समझ के मुझे अपने

व्हाट्सप्प , इंस्टाग्राम और

फ़ेसबुक की स्टोरी पर लगाना मत ...

कम से कम जाने के बाद तो

मेरी रूह को रुलाना मत



जिनके मैं करीब था

उनको मेरा सलाम देना

मेरी बूढ़ी माँ को

पैर छू के प्रणाम देना

उन्हें कहना ,

उन्हें कहना कि याद तुम्हे कर रहा था ...

पर बताया नहीं क्योंकि

तुम्हारी डाँट से डर रहा था ...



जब सब चले जायेंगे

मुझे विदा कर के ,

फिर वो आएगी

रोज़ कि तरह

मुझे सुलाने ...

छोड़ देना अकेला हमें ,

रख तकिया मेरे सिरहाने ..

वो ख़ुश होगी ये देख के ,

मैं आज जल्दी सो गया ...

वो रौशनी थी मेरी रात की ,

हमें प्यार कैसे हो गया ..

हमें प्यार कैसे हो गया ..



वो बिलखेगी ये देख के

मैं बात नहीं कर रहा ..

मोहब्बत चरम पे थी हमारी ,

पर इस बार तो मैं मर रहा

इस बार तो मैं मर रहा ...
© Vaartik