ख़ामोशी
जाने कैसे गुमराह हो गई वो हलचल
जो कभी हमारे तुम्हारे दरमियान थी
कि दिन भर की कुलबुलाहट समेटे
रात की ख़ामोशी में...
जो कभी हमारे तुम्हारे दरमियान थी
कि दिन भर की कुलबुलाहट समेटे
रात की ख़ामोशी में...