...

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जिंदगी ?
खुली किताब जैसे ये जिंदगी
तू बदनाम क्यों है
अच्छा तेरा इरादा ईमानदार क्यों है
और लोग जो पूछते है हिसाब तेरा
उनसे पूछना तेरा ईमान क्यों नही है
ये जिंदगी तू खुली किताब क्यों है ..…...2

सब की हस्ती बस्ती से आराम क्यों है
तेरे चेहरे पे जो चमक वो बईमान क्यों है
और जो पाल रहे है साप इन समाज मैं
उनके अंदर ये अंधकार क्यों है
ये जिंदगी तू खुली किताब क्यों है

हस्ती मिटे पर सब परेशान क्यों है
कोन सा अपना था जो हैरान क्यों है।
न तेरा न मेरा है पर इंसान
इंसानियत से बेईमान क्यों हैं
ये जिंदगी तू खुली किताब क्यों है
ये जिंदगी तू खुली किताब क्यों है
© Shishir.k

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