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ढूंढ ही लेगा जमाना
कहीं तन्हाइयों में खो गए हैं
न जाने ख़्वाब कैसे हो गए हैं
कभी चाहत हुई मुस्कान की तो
हमारे अश्क छुप छुप रो गए हैं
जमाना ढूंढ ही लेगा कहीं से
कि हम खुशबू चमन की हो गए हैं
चलो फिर जश्न की गहराइयों में
उजाले फिर हमारे हो गए हैं
न जाने ख़्वाब कैसे हो गए हैं
कभी चाहत हुई मुस्कान की तो
हमारे अश्क छुप छुप रो गए हैं
जमाना ढूंढ ही लेगा कहीं से
कि हम खुशबू चमन की हो गए हैं
चलो फिर जश्न की गहराइयों में
उजाले फिर हमारे हो गए हैं
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