दिसंबर की गुनगुनी धूप...
दिसंबर की गुनगुनी सी धूप
और तुम्हारे ख्याल...
नीम दराज आँखों में सब कुछ
वैसा ही बिखरा हुआ सा..
जैसा छोड़ गए थे तुम...!
बहुत कुछ समेटना चाहती हूँ
जहन के अंदर मगर
कुछ चीजें बिखरी हुई भी
सुकून देती हैं
जैसे तुम्हारी...
और तुम्हारे ख्याल...
नीम दराज आँखों में सब कुछ
वैसा ही बिखरा हुआ सा..
जैसा छोड़ गए थे तुम...!
बहुत कुछ समेटना चाहती हूँ
जहन के अंदर मगर
कुछ चीजें बिखरी हुई भी
सुकून देती हैं
जैसे तुम्हारी...