...

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काश
अब बात नही होती उससे,
फिरभी लोग उसे मेरी आंखों में ढूंढते है,
आंखे फेर लेती हू में क्युकी आंसू आ जाते है,
हर जगह उसकी यादें मुझे घेर लेती है,
आसमान में देखू तो उसिका चेहरा नजर आता है,
आंखे बंद करु तो अंधेरे में भी वो है,

अब वादा नही करती क्युकी निभाना भूल गई हू में,
रोई हू बोहोत बार अब आंखे भी रूठसी गई है,
प्यार और साथ से नफरत कर बैठी हू में,

खुदा से शिकायत नहीं है अब,
हाथो के लकीरों में ही है जवाब,
नही है वो मेरे नसीब में,
गलती तो मेरी नही है न,
फिरभी-
काश वो मेरा होता,
बस अब बात नही होती उससे ।


© tuli