...

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तुम
मानसून की पहली बारिश में नहाती तुम
कागज की नाव बनाकर पानी में बहाती तुम
हाथों को खुला छोड़ आँखों को भींचकर
गालों पर पानी की बुंदों को उकसाती तुम

जमें हुए पानी में कुदकर मस्ती करती तुम
साडी को हलके से उठाके तुम
पैरों से पानी को मुझपर उछालकर
और कितना भिगाओगी मुझे...