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बच्चा मजदूर हो गया...🔥🔥✍️✍️ (गजल)
जिसे अपनी शानो-शौकत का गुरूर हो गया
वो शख्स खुदा की रहमत से ही दूर हो गया

जिम्मेदारियां इस कदर आयीं नन्हे कंधों पर
पढ़ने लिखने वाला बच्चा मजदूर हो गया

वो सारी दुनिया से कर देता ऐलान-ए-जंग
मगर कुछ रिश्तों के आगे मजबूर हो गया

गरीब चढ़ गया इन झूठी तौहमतों की भेंट
अमीर न्याय खरीद कर बेकसूर हो गया

जो खुद को मान बैठा था सरताज-ए-जहां
तमाचा पड़ा खुदा का तो चूर -चूर हो गया

मैं मदहोश बीनता गया राहों के पत्थर
नेकी में हर पत्थर जैसे कोहिनूर हो गया

जिसने नोंच नोंच के काटे गरीबों के उदर
हां वो पाप का भागी तो जरूर हो गया

कोई हमसे वफा करे ना करे फर्क नहीं
हमें तो वफादारी का जैसे फितूर हो गया



© Shaayar Satya