करुणा
चक्षु नदी जैसी शीतल रखिए
स्नेह झील जैसा गहरा रखिए ,
करुणा बुद्ध जैसी निर्मल रखिए
क्षमा महावीर जैसी अपार रखिए ,
वाणी भिक्षु जैसी मधुर रखिए
हृदय सागर जैसा विशाल रखिए ,
मन गंगा जैसा शुद्ध रखिए
तन वृक्ष जैसा स्वच्छ रखिए ,
निःसंदेह आत्मा मंदिर बन जाएंगी ।
© -© Shekhar Kharadi
तिथि- २७/३/२०२२, मार्च
स्नेह झील जैसा गहरा रखिए ,
करुणा बुद्ध जैसी निर्मल रखिए
क्षमा महावीर जैसी अपार रखिए ,
वाणी भिक्षु जैसी मधुर रखिए
हृदय सागर जैसा विशाल रखिए ,
मन गंगा जैसा शुद्ध रखिए
तन वृक्ष जैसा स्वच्छ रखिए ,
निःसंदेह आत्मा मंदिर बन जाएंगी ।
© -© Shekhar Kharadi
तिथि- २७/३/२०२२, मार्च
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