मुझसे तुमसे जो कहना है ख़्वाब मैं कहूं कैसे,
नींद की खुवाहिश मैं जागे जाता हूं
रुक ऐ अफसुरदा दिल आज कुछ देर सो जाता हूं,
मुझसे तुमसे जो कहना है ख़्वाब मैं कहूं कैसे,
के आंख भी नहीं लगती यूं कहने से रह जाता हूं,
कुछ बहाना दो मैं बंद कर दूं ये किस्सा भी,
बहुत कमज़ोर हो दिल से यूंही तुमको मनाता हूँ,
कलम की सियाह तहरीरे बड़ी मज़बुत होती हैं,
बड़ी मुश्किल से रुकता हूं बहुत कुछ मिटाता हूं,
रुक ऐ अफसुरदा दिल आज कुछ देर सो जाता हूं,
मुझसे तुमसे जो कहना है ख़्वाब मैं कहूं कैसे,
के आंख भी नहीं लगती यूं कहने से रह जाता हूं,
कुछ बहाना दो मैं बंद कर दूं ये किस्सा भी,
बहुत कमज़ोर हो दिल से यूंही तुमको मनाता हूँ,
कलम की सियाह तहरीरे बड़ी मज़बुत होती हैं,
बड़ी मुश्किल से रुकता हूं बहुत कुछ मिटाता हूं,
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