...

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रहे तो क्या रहे
महज़ इत्तेफ़ाक़ ही तो है,
जिस वक्त में साथ रहे,
महज़ एकतरफा रहे तो है,
जिस बात में रात रहे,
महज़ दरिया ही तो है,
जिसमें न...