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🌸 ग़ज़ल 🌸
जिसने जो कहा मैंने कहने दिया,
मैंने राज़ को राज़ रहने दिया।
तू भूल गयी कल किए वादे,
मैंने कसमों की लाज़ रहने दिया।
सवाल उठते हैं मेरी मोहब्बत में,
मैंने कैसे ज़िंदा ताज़ रहने दिया?
अपने लहूलुहान दिल में मैंने,
तेरे इश्क़ का कांच रहने दिया।
लोग प्यार में कहां से कहाँ पहुँचे,
मैंने ख़ुद को हताश रहने दिया।
सब धुंधली हो चली यादें तेरी,
बस आँख में बहाव रहने दिया।
खूब बिका इश्क़ गलियारों में,
मैंने सर्वोपरि समाज रहने दिया।
प्रखर कुशवाहा 'Dear'
मैंने राज़ को राज़ रहने दिया।
तू भूल गयी कल किए वादे,
मैंने कसमों की लाज़ रहने दिया।
सवाल उठते हैं मेरी मोहब्बत में,
मैंने कैसे ज़िंदा ताज़ रहने दिया?
अपने लहूलुहान दिल में मैंने,
तेरे इश्क़ का कांच रहने दिया।
लोग प्यार में कहां से कहाँ पहुँचे,
मैंने ख़ुद को हताश रहने दिया।
सब धुंधली हो चली यादें तेरी,
बस आँख में बहाव रहने दिया।
खूब बिका इश्क़ गलियारों में,
मैंने सर्वोपरि समाज रहने दिया।
प्रखर कुशवाहा 'Dear'
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