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रंग बदलना
अपनो को अपने लिबास में बदलते देखा है..
खुद को खुद में दफ़न होते देखा है..
खुद के वजूद की तासीर को मिटते देखा है..
हर कदम पर खुद को बदलते देखा है..
अपने एक एक लफ़्ज पर दुनिया को आजमाते देखा है..
तो बातों ही बातों में लोगों को जख़्म होते देखा है..
नेकी के इरादों में गलत बोल बोलते देखा है..
हर कदम पर खुद को डग मगाते देखा है..
अंतर्मन के भावों को अंतर्मन में ही डांवाडोल देखा है.. ...