सत्री का मन
सपनो में भागती एक सत्री
का पीछा करते कभी देखा
हैं तुमने उसे रिशतो के
कुरूछेत्र में अपने....आप
से लडते!!
तन के भुगोल से परे एक
सत्री के मन की गांठ
खोलकर कभी पढा हैं
तुमने उसके भीतर का
खौलता इतिहास....।
का पीछा करते कभी देखा
हैं तुमने उसे रिशतो के
कुरूछेत्र में अपने....आप
से लडते!!
तन के भुगोल से परे एक
सत्री के मन की गांठ
खोलकर कभी पढा हैं
तुमने उसके भीतर का
खौलता इतिहास....।