कुछ खो सा गया 🤕..
कही कुछ खो सा गया है
मैं अब मैं नहीं रहा ' जानी '
जिनसे मुलाकात की उम्मीद भी नहीं
उनसे अब बात होना भी मुनासिब नहीं
एक अजीब सा वक्त आया है
जहां कोई अपना नजर आता नहीं
हर किसी ने हमें ठुकराया है
कोई हमे अब अपनाता नहीं
किससे कहूं अपनी सारी बाते
मेरी बाते कोई सुनता भी नहीं
ये उलझने जो बढ़ती जा रही है
इन उलझनों को कोई सुलझाता नहीं
हंसने...
मैं अब मैं नहीं रहा ' जानी '
जिनसे मुलाकात की उम्मीद भी नहीं
उनसे अब बात होना भी मुनासिब नहीं
एक अजीब सा वक्त आया है
जहां कोई अपना नजर आता नहीं
हर किसी ने हमें ठुकराया है
कोई हमे अब अपनाता नहीं
किससे कहूं अपनी सारी बाते
मेरी बाते कोई सुनता भी नहीं
ये उलझने जो बढ़ती जा रही है
इन उलझनों को कोई सुलझाता नहीं
हंसने...