#भीड़मेंअनकहे
शहर की गलियों में, जहाँ चेहरे मिलते हैं,
आत्माओं का एक समुद्र, फिर भी भावनाएँ समाप्त हो जाती हैं,
अनकही सोच, छुपी हुई ज्वार की तरह,
गुप्त मन के किनारों पर टकराती है।
भीड़ भरे कमरों में, जहाँ आवाज़ें उठती हैं,
छिपी आँखों के पीछे एक अकेला दिल,
जुड़ने के लिए, साँचे को तोड़ने के लिए तरसता है,
लेकिन शब्द अनकहे, अनकहे रह जाते हैं।
जीवन का शोर, एक निरंतर गुनगुनाहट,
गहरी फुसफुसाहट को डुबो देती है, एक अनकही ढोल,
चुप्पी का...
आत्माओं का एक समुद्र, फिर भी भावनाएँ समाप्त हो जाती हैं,
अनकही सोच, छुपी हुई ज्वार की तरह,
गुप्त मन के किनारों पर टकराती है।
भीड़ भरे कमरों में, जहाँ आवाज़ें उठती हैं,
छिपी आँखों के पीछे एक अकेला दिल,
जुड़ने के लिए, साँचे को तोड़ने के लिए तरसता है,
लेकिन शब्द अनकहे, अनकहे रह जाते हैं।
जीवन का शोर, एक निरंतर गुनगुनाहट,
गहरी फुसफुसाहट को डुबो देती है, एक अनकही ढोल,
चुप्पी का...