...

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तो जानूँ......
जख्मों पर मरहम ना सादो
इन पर अपना हाथ लगादो,
तो जानूँ,
आँखों से बात नहीं होती
है ये ठीक की मैं कर लेता हुँ
लबों से दिल की हर बात बतादो,
तो जानूँ,
मेने तेरे लिए नदियाँ बहाई आँखों से
तुम एक कतरा ही बहादों,
तो जानूँ,
मैं नशा पसंद नहीं हुँ
तुम बिछड़ कर मुझे इसका भोग लगादो,
तो जानूँ,
दिन हो या रात इस दुनिया मैं दिल का
अंधेरा है मौजूद हर जगाह,
तुम एक जुगनू ही जलादो,
तो जानूँ
कब से मैं कंप कंपा रहा हुँ
ठन्डे दिलों की बर्फ और बेदर्दी से,
तुम...