...

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" अनुभूति की अभिव्यक्ति "
कैसे हो ?.....
प्रत्यक्ष अनुभूति की अभिव्यक्ति,
जब तक ना मिलें,
कलम को कोई उपयुक्त अल्फाज़ !
वो क्रोध, प्रेम, करुणा और संवेदना,
प्रकट होंगे कैसे ?.....
कोरे पृष्ठों पर मेरे आज !!

दौडाए अक्ल के घोड़े,
शब्दों से भरी एक अलग दुनिया में,
ताकि बढ़ सके,
प्रत्यक्ष अनुभव की सज्जा-साज !
परंतु नहीं मिले,
एहसासों से लबरेज़ वो शब्द,
जिनकी गहराइयों को,
समझ सके ये निरीह समाज !!

होगी निष्प्राण,
उस सुंदर अनुभूति की अभिव्यक्ति,
जैसे अनपयुक्त शब्दों से,
बेनूर होता सुंदर ताज !
अतः कर ले समाहित,
चित्त में अपने हर एक क्षण को,
और जी सौ-सौ बार,
हर लम्हे को रखकर अंतर में राज़ !!

दे पंख....
प्रत्यक्ष अनुभव के अफसानों को अपने,
और भर उड़ान,
निशब्द दुनिया में तू बनकर बाज !
तज फीके शब्दों से उड़ेलना,
संवेदनाओं का सागर,
और चमक उठ,
मौन भरे स्वरों से तू बनकर सिराज !!


© Shalini Mathur