पहचान ! अपनों का साथ
कभी पैरों की बेड़ियां तोड़ मैं उड़ जाऊंगी,
एक दिन जब कामयाबी का परचम
इस जहां में लहराऊंगी,
मैं झूमती गगन के अगन में नजर आऊंगी,
मैं भी एक दिन मुस्कुराऊंगी।
अठखेलियां करती मैं भी
कुछ नखरे दिखाऊंगी,
कोई नाजों से मेरे नखरे उठाएगा,
है...
एक दिन जब कामयाबी का परचम
इस जहां में लहराऊंगी,
मैं झूमती गगन के अगन में नजर आऊंगी,
मैं भी एक दिन मुस्कुराऊंगी।
अठखेलियां करती मैं भी
कुछ नखरे दिखाऊंगी,
कोई नाजों से मेरे नखरे उठाएगा,
है...