कहती कलम
कहती हुई रुक गयी।
आज लिखती हुई थम गयी।
कलम,आज रचते हुए रह गई।
लिखने का ख्याल तो था,
लेकिन ,जीवन हर बार नया कैसा देखा जाये।
कुछ कह भी दूँ मन भरा,
हर बार मन कैसे तराशा जाए।
स्तब्ध,इन नजरों...
आज लिखती हुई थम गयी।
कलम,आज रचते हुए रह गई।
लिखने का ख्याल तो था,
लेकिन ,जीवन हर बार नया कैसा देखा जाये।
कुछ कह भी दूँ मन भरा,
हर बार मन कैसे तराशा जाए।
स्तब्ध,इन नजरों...