...

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गलतफ़हमी
बचकर निकला न था वो,
मुश्किलों से बस,
जूझ रहा था वो,
अभी हाल ही,
आया था एक बवंडर भारी,
अस्तित्व अपना उसमें,
बचा रहा था वो।
आक्षेप सुन उसका,
बोझिल हुआ मन उसका।
ह्दय हुआ व्यथित,
कठोर मन भी हुआ द्रवित,
नयन हो गए सजल,
सोचा न था,
मिलेगा सत्कर्मों का ऐसा प्रतिफल।

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