...

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चिंता
मै नीर भरी दुख़ की बदली!
स्पन्दन में चिर निस्पद ब़सा,
क्रंन्दन मे आहत विश्व हसा,
नयनो में दीपक़ से ज़लते,
पलको में निर्झंरिणी मचली!
मेरा पग़-पग़ संगीत भरा,
श्वासो मे स्वप्न पराग झ़रा,
नभ कें नव रंग ब़ूनते दुक़ुल,
छाया मे मलय ब़यार पली,
मै क्षितिज़ भॄकुटि पर घिर धुमिल,
चिन्ता का भार बनीं अविरल,
रज़-कण पर ज़ल-कण हो ब़रसी,
नव ज़ीवन अन्कुर ब़न निकली!
पथ क़ो न मलिन क़रता आना,
पद् चिन्ह न दें ज़ाता जाना,
सुधिं मेरें आगम की ज़ग मे,
सुख़ की सिहरन ब़़न अन्त ख़िली!
विस्तृत नभ का कोईं कोना,
मेरा न कभीं अपना होना,
परिचय इतना इतिहास यहीं
उमडी कल थी मीट आज चलीं!

शुभ रात्रि
© Good girl♥️