अवध के वासी
अवधवासी ।
(श्री राम, प्रजा की दृष्टि से)
कर जोड़े भानु उदय हो जहाँ
पवन जहाँ की अमुख है दासी
राघव विचरित डगर बसेरा
अहोभाग्य हम अवध के वासी।।
कौशल प्रदेश के भाग्य विधाता।
वैवस्वत इस वंश के दाता।।
दशरथ किए, सब पुण्य जिए।
रघुपति लला, जो जन्म लिए।।
रत्न जड़ित मुकुट सिर सोहे ।
इन्द्रधनुष के बिम्ब सी भौंहे ।।
विशाल भाल अंबर सो साजे ।
मलयज ज्यों मृगांक विराजे।।
प्रेम सौहार्द गुण...
(श्री राम, प्रजा की दृष्टि से)
कर जोड़े भानु उदय हो जहाँ
पवन जहाँ की अमुख है दासी
राघव विचरित डगर बसेरा
अहोभाग्य हम अवध के वासी।।
कौशल प्रदेश के भाग्य विधाता।
वैवस्वत इस वंश के दाता।।
दशरथ किए, सब पुण्य जिए।
रघुपति लला, जो जन्म लिए।।
रत्न जड़ित मुकुट सिर सोहे ।
इन्द्रधनुष के बिम्ब सी भौंहे ।।
विशाल भाल अंबर सो साजे ।
मलयज ज्यों मृगांक विराजे।।
प्रेम सौहार्द गुण...