...

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दोस्ती
हमारी दोस्ती की बुनियाद जब शुरूआत मेें थी
तभी तो हमने ये गुजारिश की थी
एक-दूसरे की खूबियों के साथ नहीें, हमें हमारी कमियों के साथ स्वीकारने की जो बात कही थी

हम दोनों के अटूट स्नेह और विश्वास से ही, हमारी दोस्ती गहरी हुई थी
मजबूत हो हम दोनों और प्रीत भरी दोस्ती निभाई थी

तो क्यूं न एक-दूसरे की कमियों को नजरअंदाज करें हम-तुम
भूल-चूक जो भी हुयी हो, एक-दूजे को माफ करें हम-तुम

क्यूं नहीं समझ रहे हैं हम या फिर समझना ही नहीं चाहते हम तुम..?
आखिर कब तक यूं ही रूठे-रूठे रहेंगे हम तुम..?

मतभेद भले हो जाए, मनभेद न करना तुम..
मैं हूँ अगर बावरी तो, बड़ी समझदार हो तुम..

कितनी भी गलतफ़हमी हो, अपना विश्वास न खोना तुम..
इस जहाँ की सारी खुशियाँ मिले तुम्हें, सदा मुस्कुराती रहो तुम..

© 💥A. Suryavanshi💥