...

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जिस दिन लिखना छोड़ दिया
जिस दिन लिखना छोड़ दिया,
समझो जीना छोड़ दिया।
नब्ज़ सा ही इस कलम का भी
चलना बहुत जरूरी है।
तक़दीर में जो भी मिले
शब्दों में पिरोना जरूरी है।
जिंदगी चाहे सुंदर ना हो,
शब्दों से तो संवर ही जाएगी।
उम्मीद अपनी देखकर फ़िर
जिंदगी एक दिन बदल ही जाएगी।

Dr. Priyanka
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