एक तरफा इश्क
आर्मीदा-ए-जिंदगी हम गुजारते रहे
फ़सील-ए-सब्र से उन्हें पुकारते रहे
सदा उन तक मेरी कभी पहुंची ही नही
अलबत्ता हम सुने रास्तों को ताकते रहे
जिनसे ज़ाहिर-ए-जस्बात...
फ़सील-ए-सब्र से उन्हें पुकारते रहे
सदा उन तक मेरी कभी पहुंची ही नही
अलबत्ता हम सुने रास्तों को ताकते रहे
जिनसे ज़ाहिर-ए-जस्बात...