...

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नौजवानों
अभी से पांव के छाले ना देखो शाबाब (नौजवान)
अभी तो ज़िन्दगी कि इब्तिदा हूई है,


सफर की इब्तिदा करना अभी तो बाकी है
हवाओ का रुख बदलना अभी तो बाकी है


वक्त शाबाब(नौजवानी) ना जागे तो कभी भी न जागे
मुद्दतें उम्र जुल्मत (अंधेरे) में गुज़ारोगे कैसे,


तुम अगर जागे तो हवाओं का रुख बदल दोगे
जिंदगी बदल दोगे ज़माना बदल दोगे,


शबाबे(नौजवान) जिंदगी का लुत्फ है जिद्दो जहेद (कोशिश)
जिददो जाहेद ( कोशिश)न हो शबाबे जिंदगी कैसी