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हमारे प्यारे लाल
हमारे लाल थे भोले-भाले,
थे वे भारत माँ के रखवाले|
वे थे सीधे-साधे और ज्ञानी,
जिन्होंने सबकी मानी |
कद में चाहे वे छोटे थे,
पर ज्ञान में बहुत बड़े थे|
बचपन में वो गरीबी में जिए,
लेकिन सर उठा कर जिए|
पढ़ने जाते वे करके नदिया पार,
पर कभी ना मानी उन्होंने जीवन में हार|
सादा जीवन और उच्च विचार,
यही था उनके जीने का सार |
याद करते हैं सब सिर्फ महात्मा गाँधी को,
पर भूल जाते हैं हम
हमारे प्यारे शास्त्री को|
2 अक्टूबर को केवल गाँधी ही नहीं थे आये,
हमरे प्यारे शास्त्री भी थे आये |
याद रही सबको गाँधी जयंती,
पर भूल गए शास्त्री जयंती |
जब युद्ध की बारी आई,
तो उन्होंने अपनी अहम भूमिका निभाई|
जब धरती जुझी अकाल से,
तो ना डरे वो काल से,
और की मदद देश की दुलार से |
नारा दिया उन्होंने जय जवान जय किसान |
और करते वे हर जन का सम्मान|
चाहे रहे वो उच्च पद पर,
पर बैठे सदा ही भारत माँ की भूमि पर|
और रखी हर जन की इच्छा सर-आखों पर |
गर्व हैं हमें अपने बहादुर पर,
ना जाने ऐसा नेता फिर कब आएगा,
जो देश के हित की खातिर अपना फ़र्ज निभाएगा,
जो फिर भारत देश को हीरे की तरह चमकायेगा|
© Varsha Kanwar