...

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हे गुरुवर!
हे गुरुवर! आपको नमन ,
शीश झुकाऊं तेरे चरण।
हो राह के साथी तुम हमारे,
हो भाग्यविधाता तुम हमारे।

हौसला बुलंद रहे ,
ऐसी ऊर्जा है तुम्हारी।
वो दैवीय शक्ति हमें देते हो,
यह करुणा हमपर अति प्यारी।

दंड देते हो पर सिख है उसमें ,
जो वचन निकले अलभ्य गीत है उसमें ।
दोस्त सखा बन जाते हो ,
विकास की कदमताल सिखाते हो।

खुद अनेक बाधाओं से लड़कर,
तुमने एक मार्ग सुंदर बनाया है ।
खिल रही है सुंदर कलियां,
क्या सौंदर्य जगमगाया है!!

हे गुरुवर! आपको है सदा मेरा नमन।
© श्रीहरि