हां पागल थी मैं....
हां ! पागल थी मैं,
पागल थी मैं जो करती थी यकीं
उसकी हर एक बात पर,
पागल थी मैं जो करती थी ऐतबार उसके प्यार पर।।
कहले वो हज़ार झूठ सही मैं उन्हें सच समझती थी,
जान कर भी अनजान बनती थी,
उसकी हर एक गलती को मैं माफ किया करती थी।
हां! पागल थी मैं ,
जो मोहब्ब्त उससे बेहिसाब किया करती थी।।
चेहरे पर मेरे एक अलग सा हि नूर होता था,
जब भी कभी...
पागल थी मैं जो करती थी यकीं
उसकी हर एक बात पर,
पागल थी मैं जो करती थी ऐतबार उसके प्यार पर।।
कहले वो हज़ार झूठ सही मैं उन्हें सच समझती थी,
जान कर भी अनजान बनती थी,
उसकी हर एक गलती को मैं माफ किया करती थी।
हां! पागल थी मैं ,
जो मोहब्ब्त उससे बेहिसाब किया करती थी।।
चेहरे पर मेरे एक अलग सा हि नूर होता था,
जब भी कभी...