...

2 views

अफ़वाह
इतनी खुबसूरत नही होती मोहब्बत
जितनी शायरो ने बना रखी है,

कोई तोड़ कर नही लाता चाँद तारे,
ये अफ़वाह किसी ने फैला रखी है,

हुस्न के ढलते हि ताल्लुक खत्म सा हो जाता है,
ये आशिक और है जिन्होने महबूबा कि तस्वीर बटुए में सम्भाल रखी है,

सफ़र-ए-इश्क़ मे धोखा और इंतज़ार दोनो होते है मिया
तुमने अब तक खामखा उसकी पायल संभाल रखी है,

माना खुबसूरत है वो शख़्स जिस पर तुम मरते हो,
पर ऐसे भी क्या चाहना कि उसने जान आफ़त मे डाल रखी है,

अगर रखना है उससे राबता तो इज़हार करो मोहब्बत का,
ये दर्द देती है यार, तुमने भी एक तरफा मोहब्बत पाल रखी है।