...

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जन-जन के श्रीराम जी
जन-जन के श्रीराम जी
कण-कण में बसे श्रीराम जी।।
पधारों आज अपने धाम जी
विराजो, रामलला....
आज अवध में.....
हर्षित हैं सरयु,
आनंदित हैं, प्रत्येक देशवासी
राममय हुआ हर एक वासी
पांच सौ साल का इतंजार खत्म हुआ...
ऐसा लगा मानों आज श्रीराम का
वनवास समाप्त हुआ...।।
पुनः महल में विराजे ...
आज रामलला ।।
पधारों रामलला
अवध में आज
संवारो हमारे बिगड़े काज ।।
जन-जन के श्रीराम जी
कण-कण में बसे श्रीराम जी।।
© सोनी