ज़ख्म सिलते नहीं
जलाया हाल ही में उसने दुश्मन का नीड़ है
संवेदनाओं से परे वो युद्धरत निर्विकार भीड़ है
वो राष्ट्रवाद की बातें करते हैं और
देशहित में देश को जलाने से भी नहीं डरते हैं
उन्हें क्या पता उठती भारत के सीने में कैसी पीड़ है
संवेदनाओं से परे वो युद्धरत निर्विकार...
संवेदनाओं से परे वो युद्धरत निर्विकार भीड़ है
वो राष्ट्रवाद की बातें करते हैं और
देशहित में देश को जलाने से भी नहीं डरते हैं
उन्हें क्या पता उठती भारत के सीने में कैसी पीड़ है
संवेदनाओं से परे वो युद्धरत निर्विकार...