...

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आत्म - विश्वास
कदम तो कहते हैं चलता चल,
चाहे मुश्किलें आएं हज़ार।
अक्सर पतझड़ से गुज़र कर ही,
आती है फूलों पर बहार।

क्या हुआ जो करना पड़ रहा है,
कामयाबी का थोड़ा इंतज़ार।
मैं खुद ही राह बना लूंगा ,
कर लूंगा मुश्किलों के समंदर पार।

नहीं चाहिए कोई रोशनी की किरण,
मैं खुद एक रोशन चिराग़ हूं।
जल जाएंगी ज़माने की साजिशें,
मैं तो एक ऐसी आग हूं।

आज हंसते हैं जो मुझे देखकर,
कल वही देख हैरान रह जाएंगे।
जब मैं पहुंचूंगा मंज़िल पर अपनी,
मेरी विजय के गीत गुनगुनाएंगे।

ना छीन पाएगा ज़माना ये,
ऐसी दौलत को हासिल करना है।
जो मैं चाहूं वो मेरा हो,
मुझे बस इस काबिल बनना है।

मंज़िल तो मिल ही जायेगी,
हर पल होता ये आभास है।
जो ठाना है पा ही लूंगा,
खुद पर इतना विश्वास है।

मेहनत भी है,पक्के इरादे भी,
बस थोड़ा सा इंतज़ार है।
हर तरफ गूंजेगी मेरी जीत की गूंज,
बसाना एक ऐसा संसार है।

ना डरा मुझे ऐ वक्त तू,
तेरी आखिर क्या औकात है?
डर कर तुझसे में रुक जाऊं,
तुझमें ऐसी भी क्या बात है?

मेरी मेहनत और संघर्ष के आगे ,
तेरा जुनून चूर हो जायेगा।
तू देखता रह जायेगा और,
मेरा नाम मशहूर हो जायेगा।

जो देखा है मैंने ख्वाबों में,
एक दिन वो संसार बसाऊंगा।
उस मुकाम तक पहुंचूंगा मैं,
दिलों का बादशाह बन जाऊंगा।