आखिरी इश्क़ ❤️
सुंदर नैन, मधुर स्वर ,चेहरा चांद से मिलता है।
आसमां में जो दूर था, अब सामने मेरे दिखता है।
उस चांद से मैं कहता नहीं सामने मेरे बैठी रहो,
पर सामने मेरे बैठी है, आखों से इश्क़ कहती है।
मैं भी ठहरा तारा उसका, रोशन उसको करता हूं।
आखों से वो कहती है, मैं आखों से सुनता हूं।
सुबह बीता, शाम हो गई; कब तलक यूं ही बैठे हम।
आखों ने सब बयां किया, होठों से तो बोलो अब।
उसने बोला आप कहो,...
आसमां में जो दूर था, अब सामने मेरे दिखता है।
उस चांद से मैं कहता नहीं सामने मेरे बैठी रहो,
पर सामने मेरे बैठी है, आखों से इश्क़ कहती है।
मैं भी ठहरा तारा उसका, रोशन उसको करता हूं।
आखों से वो कहती है, मैं आखों से सुनता हूं।
सुबह बीता, शाम हो गई; कब तलक यूं ही बैठे हम।
आखों ने सब बयां किया, होठों से तो बोलो अब।
उसने बोला आप कहो,...