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कुछ यूं हीं
लोगों के साथ होकर भी,
क्यों तन्हा महसूस करता है इंसान,
जज़्बातों के गहरे समंदर को,
क्यों नहीं समझ पा रहा है इंसान,
दुनियां में सबसे श्रेष्ठ होकर भी,
क्यों खुदमे ही उलझता जा रहा है इंसान,
झूठ और फरेब के इस दल दल में,
क्या खुदको बचा पाएगा इंसान ??
© All Rights Reserved
क्यों तन्हा महसूस करता है इंसान,
जज़्बातों के गहरे समंदर को,
क्यों नहीं समझ पा रहा है इंसान,
दुनियां में सबसे श्रेष्ठ होकर भी,
क्यों खुदमे ही उलझता जा रहा है इंसान,
झूठ और फरेब के इस दल दल में,
क्या खुदको बचा पाएगा इंसान ??
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