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पिता और पुत्र ✍️✍️✍️
पिता और पुत्र ✍️✍️✍️

अंत समय बाली समुझाया, अंगद पास ठौर बैठावा !
राम काज तुम बालक कीन्हो, राम में तुम नारायण चीन्हो !
मै मूरख सब अपयश लूटा, अन्तसमय परमारथ छूटा !
भाई बंधू सब बैरी माना, मिथ्या शक्ति सबै कछु माना !
पुत्र तुम्हार पुण्य मै पावा, दरस नारायण जो मै पावा !
अस कहि बाली राम पुकारा, तुमही अंगद केर सहारा !
हाथ जोड़ बस इतनी विनती, पुत्र की करो पुत्र में गिनती !
बोले राम सुनो हित बाली, अंगद धरे पाँव ना हाली !
पुत्र तुम्हार अती तेजस्वी, परम प्रतापी अरु ओजस्वी !
पुत्र से पिता जात पहिचाना, अंगद देहि तुमहि सम्माना !
अब बैकुंठ परम पद पाओ, तुम परमारथ सुफल बनाओ !
अंगद पिता कथन मन लाये, मन क्रम वचन प्रभु में लाये !
बोले प्रभू मूढ़ मै बन्दर, मिली नारायण सेवा सुन्दर !
मोरा जनम सुफल भा आजू , करबै पूर सकल अब काजू !
अंगद यश रामायण गावै, रावण सभा न पाँव डोलावै !
जापर कृपा राम कर होइ, तापर कृपा करै सब कोई !
किष्किंधा का राज चलावें, अपना यश दस दिश फैलावें !

© VIKSMARTY _VIKAS✍🏻✍🏻✍🏻