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ग़ज़ल:- ज़िंदगी हादसा है तेरे बिन
क्या बताओं के क्या है तेरे बिन
ज़िंदगी हादसा है तेरे बिन
मेरे सीने में मेरा दिल हर पल
मुझसे रूठा हुआ है तेरे बिन
बे सबब मेरी शक्ल-ओ-सूरत है
बे सबब आइना है तेरे बिन
लब पे नगमे हैं बस उदासी के
मुस्कुराना सज़ा है तेरे बिन
कौन अब समझे सादगी मेरी
कौन अब हमनवा है तेरे बिन
मिट चली है सेहर अनन्या की
शाम की इब्तिदा है तेरे बिन
© Ananya Rai Parashar
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