दो जून की रोटी
दो जून की रोटी इस बात
की ही चिंता हर किसी को
दिन रात है होती कहां जाऊं
कैसे कमाऊ...
की ही चिंता हर किसी को
दिन रात है होती कहां जाऊं
कैसे कमाऊ...