...

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दो जून की रोटी
दो जून की रोटी इस बात
की ही चिंता हर किसी को
दिन रात है होती कहां जाऊं
कैसे कमाऊ कैसे अपने पूरे
परिवार को भरपेट खिलाऊं
ये सोच सोच कर की दिन है
गुजरता यही सोचकर रात है
होती।
© Tinki
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