होश में आने लगा हूं
मैं भी होश में आने लगा हूं
शायद मैं भी दिल दुखाने लगा हूं
कि ज़िक्र मैं उसका अब नहीं करता
मगर ये भी मैं उसे बताने लगा हूं
और हिफ़ाज़त में रखना ये भ्रम अपना
मैं भी किसी को याद आने लगा हूं
उस के हिस्से ज़ख़्म मुझे सजाने पड़े
यूं ही नहीं मैं मुस्कुराने लगा हूं
ख़बर दो कोई कहीं मैं बुझ ना जाऊं
मैं धीरे धीरे खुद को जलाने लगा हूं
ऐ खुदा अब मौत आ ही जाए तो अच्छा
अब तो मैं तेरे दर भी सर झुकाने लगा हूं
© Narender Kumar Arya
शायद मैं भी दिल दुखाने लगा हूं
कि ज़िक्र मैं उसका अब नहीं करता
मगर ये भी मैं उसे बताने लगा हूं
और हिफ़ाज़त में रखना ये भ्रम अपना
मैं भी किसी को याद आने लगा हूं
उस के हिस्से ज़ख़्म मुझे सजाने पड़े
यूं ही नहीं मैं मुस्कुराने लगा हूं
ख़बर दो कोई कहीं मैं बुझ ना जाऊं
मैं धीरे धीरे खुद को जलाने लगा हूं
ऐ खुदा अब मौत आ ही जाए तो अच्छा
अब तो मैं तेरे दर भी सर झुकाने लगा हूं
© Narender Kumar Arya
Related Stories