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खामोश चीख
चीख खामोश सी थी उसकी
मगर , खामोशी में एक शोर था
भीड़ थी वहाँ ,भीड़ में पर
ज़िंदा ना कोई और था
तमाशबीनों का जमावड़ा
संवेदनाएँ लुप्त थीं
मोबाइलों के कैमरों का
रुख बस उसकी ओर था
तफरीह का सामान बनी वो
और , मजे की बात ये
लूटकर अस्मिता ,शामिल
भीड़ में ही वो चोर था
© बदनाम कलमकार
मगर , खामोशी में एक शोर था
भीड़ थी वहाँ ,भीड़ में पर
ज़िंदा ना कोई और था
तमाशबीनों का जमावड़ा
संवेदनाएँ लुप्त थीं
मोबाइलों के कैमरों का
रुख बस उसकी ओर था
तफरीह का सामान बनी वो
और , मजे की बात ये
लूटकर अस्मिता ,शामिल
भीड़ में ही वो चोर था
© बदनाम कलमकार
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