एक पिता... ♥
पिता हूं मैं एक बेटी का,
अपना फर्ज निभाऊंगा
अपनी बेटी की रक्षा के साथ-साथ
उसके ख्वाबों को भी बचाऊंगा
उसके पंख मैं बनूंगा
आसमान की राह मैं दिखाऊंगा
पर चलना उसे अकेले होगा
मैं साथ उसके ना जाऊंगा
चाहता हूं मिले वह
तरह-तरह के लोगों से
जाने भेद अच्छे बुरे का
मैं दूर खड़ा दिखाई दूंगा
मुसीबत में वह मुझे ना पुकारे
अपनी जिंदगी खुद सवारे
बने स्वयं की रक्षक
मैं तो यही चाहूंगा।।
© Dr. Rekha Bhardwaj
अपना फर्ज निभाऊंगा
अपनी बेटी की रक्षा के साथ-साथ
उसके ख्वाबों को भी बचाऊंगा
उसके पंख मैं बनूंगा
आसमान की राह मैं दिखाऊंगा
पर चलना उसे अकेले होगा
मैं साथ उसके ना जाऊंगा
चाहता हूं मिले वह
तरह-तरह के लोगों से
जाने भेद अच्छे बुरे का
मैं दूर खड़ा दिखाई दूंगा
मुसीबत में वह मुझे ना पुकारे
अपनी जिंदगी खुद सवारे
बने स्वयं की रक्षक
मैं तो यही चाहूंगा।।
© Dr. Rekha Bhardwaj