...

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मैं कौन
ना कर ये भ्रम तू के सबकुछ है तेरा ,
यहाँ ना कुछ तेरा ना है कुछ मेरा !
जीवन का एक यही है सच...
मृत्यु ही है अंतिम रक्षा कवच ।
धन , दौलत , शान , सौक़त ,
ये रूप, ये यौवन,
सब किस काम का ?
सब होगा लीन , पंचतत्व में विलीन !
फिर क्यों है तू मौन ?
सब शुन्य , सब गौण !
सब धोखा , सब नश्वर !
तो सवाल ... मैं कौन ?
मैं शांत ... मैं सजग ,
मैं अचेत ... मैं...