बेकरार दिल
दिल बेकरार रहता
साहिब कुछ समझो
कली खिल रही है
भँवरे की तरह आओ
मुझमे हो होकर...
साहिब कुछ समझो
कली खिल रही है
भँवरे की तरह आओ
मुझमे हो होकर...