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उधार की साँसे
उधार की साँसे

क्या हालत है क्यों हर शक़्श परेशान दिखता है,
मांगता फिर रहा है, चंद साँसे उधार दे दो मुझे !

अपनों को ज़न्दगी मिल जाये, भागता फिर रहा वो,
दर दर भटक रहा है, चंद साँसे उधार दे दो मुझे !

कुछ है जो इस काल में भी, पैसा कमाने कि चाहत रखते है,
झोली भर के नोटों की कुछ कह रहे, चंद साँसे उधार दे दो मुझे !

कोई शक़्श मरते मरते बयानेदास्तान अपनी कर रहा,
सोशल मिडिया पे अर्ज़ कर रहा, चंद साँसे उधार दे दो मुझे !

दिन और रात भटकती है एम्बुलेंस रास्तो पे शायद,
किसी की जान बच जाये, चंद साँसे उधार दे दो मुझे !

कुछ सांसो पे भी सियासत कर रहे है रहनुमा हमारे,
कितनी मांगी कितनी दी, चंद साँसे उधार दे दो मुझे !

हद तो तब हुई जब एम्बुलेंस भी छुपा के रख ली तुमने,
किसी मासूम की तड़प देखो, चंद साँसे उधार दे दो मुझे !

कुछ फ़रिश्ते भी मौज़ूद है इस कायनात में आज भी दोस्तों,
बिना लालच के मदद कर रहे है, चंद साँसे उधार दे दो मुझे !

आओ सभी एक दूजे के लिए, दुआ मांगे खुदा से "रवि"
शायद दुआ क़ुबूल हो हमारी, चंद साँसे उधार दे दो मुझे !

राकेश जैकब "रवि"