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यही सच है
मुझे समझ नहीं आता ये आजकल,
इंसान के भीतर से इंसानियत कहाँ खो गई है
नफ़रत क्यों पलने लगी है दिलों में,
क्या प्रेम का पाठ पढ़ाने वाला कोई नहीं है?
कोई था समय ऐसा भी,
जब सभी मिल जुलकर साथ रहते थे
खुशी हो या गम,
हर पहलू के भागीदार सभी होते थे
रिश्ते जुड़ते थे दिल से,
उनको निभाया भी जाता था शिद्दत से
अपनों के लिए कर जाते थे कुछ भी,
हर मुश्किल का हल ढूँढते थे सब्र से
त्योहारों में शामिल होते थे सभी,
चाहे वो हो किसी भी धर्म का
आपसी मन मुठाव से दूर था,
दिल सभी का
एकता ही है जीवन की नींव,
इक खुशहाल जीवन की यही रीत है
बिना आपसी सद्भाव के जीना है व्यर्थ,
और यही सच है
© Poonam Suyal
#poonamsuyal
इंसान के भीतर से इंसानियत कहाँ खो गई है
नफ़रत क्यों पलने लगी है दिलों में,
क्या प्रेम का पाठ पढ़ाने वाला कोई नहीं है?
कोई था समय ऐसा भी,
जब सभी मिल जुलकर साथ रहते थे
खुशी हो या गम,
हर पहलू के भागीदार सभी होते थे
रिश्ते जुड़ते थे दिल से,
उनको निभाया भी जाता था शिद्दत से
अपनों के लिए कर जाते थे कुछ भी,
हर मुश्किल का हल ढूँढते थे सब्र से
त्योहारों में शामिल होते थे सभी,
चाहे वो हो किसी भी धर्म का
आपसी मन मुठाव से दूर था,
दिल सभी का
एकता ही है जीवन की नींव,
इक खुशहाल जीवन की यही रीत है
बिना आपसी सद्भाव के जीना है व्यर्थ,
और यही सच है
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