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#दूर फिरंगी बन कर घूम रहा है कोई
#दूर
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,. चरण में शरण हो रहा है कोई ; राह नई दिखला रहा है कोई ; दरबदर घूम रहा है कोई;। भगवंत का नाम जाप रहा है कोई ;। सृष्टि का चक्र घुमा रहा है कोई;। दर्द को भी हसी में उड़ा रहा है कोई;।
© shri_ dhatrak